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Apara/Achla Ekadashi Vrat Katha | अपरा एकादशी कथा | Apara Ekadashi 2024 | Gyaras Katha #ekadashi @Mere Krishna
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा।
एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को ज्ञानचक्षु से देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया।
दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को सप्रेम धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।
Apara/Achala Ekadashi Kab Hai | Ekadashi Kab Hai 2024 | ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी कब है #ekadashi @Mere Krishna
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ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अपरा/अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है।
अपरा एकादशी तिथि का प्रारंभ 2 जून 2024, रविवार, सुबह 05:12 मिनट से होगा एवं इसका समापन 02 और 03 जून 2024, रविवार-सोमवार की रात्रि 02:47 मिनट पर होगा।
अपरा एकादशी व्रत के पारण का समय 04 जून 2024, मंगलवार सुबह 05:38 से 07:38 के बीच रहेगा।
Shri Ganesh Dwadashanam Stotram | श्री गणेश द्वादशनाम स्तोत्रम् | Shri Ganesh 12 Powerful Names @Mere Krishna
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श्री गणेश द्वादशनाम स्तोत्र के पाठ के साथ-साथ गणेश चालीसा और गणेश स्तुति का भी पाठ करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है और नियमित रुप से पाठ करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराईयां, डर दूर हो जाते है। श्री गणेश द्वादशनाम स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व पवित्रता का ध्यान अवश्य रखें। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।
Shri Kurma Stotram | श्री कूर्म स्तोत्रम् | Kurma Stotra With Lyrics | #kurma @Mere Krishna
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श्री कूर्म स्तोत्र:
नमामि ते देव पदारविन्दं प्रपन्नतापोपशमातपत्रम्।
यन्मूलकेता यतयोऽञ्जसोरु संसारदुःखं बहिरुत्क्षिपन्ति॥१॥
धातर्यदस्मिन्भव ईश जीवास्तापत्रयेणोपहता न शर्म।
आत्मन्लभन्ते भगवंस्तवाङ्घ्रि च्छायां सविद्यामत आश्रयेम॥२॥
मार्गन्ति यत्ते मुखपद्मनीडैश्छन्दःसुपर्णैर्-ऋषयो विविक्ते।
यस्याघमर्षोदसरिद्वरायाः पदं पदं तीर्थपदः प्रपन्नाः॥३॥
यच्छ्रद्धया श्रुतवत्या च भक्त्या सम्मृज्यमाने हृदयेऽवधाय।
ज्ञानेन वैराग्यबलेन धीरा व्रजेम तत्तेऽङ्घ्रिसरोजपीठम्॥४॥
विश्वस्य जन्मस्थितिसंयमार्थे कृतावतारस्य पदाम्बुजं ते।
व्रजेम सर्वे शरणं यदीश स्मृतं प्रयच्छत्यभयं स्वपुंसाम्॥५॥
यत्सानुबन्धेऽसति देहगेहे ममाहमित्यूढदुराग्रहाणाम्।
पुंसां सुदूरं वसतोऽपि पुर्यां भजेम तत्ते भगवन्पदाब्जम्॥६॥
तान्वै ह्यसद्वृत्तिभिरक्षिभिर्ये पराहृतान्तर्मनसः परेश।
अथो न पश्यन्त्युरुगाय नूनं ये ते पदन्यासविलासलक्ष्म्याः॥७॥
पानेन ते देव कथासुधायाः प्रवृद्धभक्त्या विशदाशया ये।
वैराग्यसारं प्रतिलभ्य बोधं यथाञ्जसान्वीयुरकुण्ठधिष्ण्यम्॥८॥
तथापरे चात्मसमाधियोग बलेन जित्वा प्रकृतिं बलिष्ठाम्।
त्वामेव धीराः पुरुषं विशन्ति तेषां श्रमः स्यान्न तु सेवया ते॥९॥
तत्ते वयं लोकसिसृक्षयाद्य त्वयानुसृष्टास्त्रिभिरात्मभिः स्म।
सर्वे वियुक्ताः स्वविहारतन्त्रं न शक्नुमस्तत्प्रतिहर्तवे ते॥१०॥
यावद्बलिं तेऽज हराम काले यथा वयं चान्नमदाम यत्र।
यथोभयेषां त इमे हि लोका बलिं हरन्तोऽन्नमदन्त्यनूहाः॥११॥
त्वं नः सुराणामसि सान्वयानां कूटस्थ आद्यः पुरुषः पुराणः।
त्वं देव शक्त्यां गुणकर्मयोनौ रेतस्त्वजायां कविमादधेऽजः॥१२॥
ततो वयं सत्प्रमुखा यदर्थे बभूविमात्मन्करवाम किं ते
त्वं नः स्वचक्षुः परिदेहि शक्त्या देव क्रियार्थे यदनुग्रहाणाम्॥१३॥
Shri Narsingh Stotram | श्री नृसिंह स्तोत्रम् | Shri Narsimha Stotra #narayan @Mere Krishna
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Shuddh Hanuman Chalisa | शुद्ध हनुमान चालीसा | जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी द्वारा बताई हनुमान चालीसा @Mere Krishna
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श्री गणेशाय नमः
श्री हनुमान चालीसा का अशुद्ध पाठ करने से बचें -- जगद्गुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्यजी महाराज
कांधे मूंज जनेऊ साजे। ×
कांधे मूंज जनेऊ छाजे। ✓
संकर सुवन केसरी नन्दन। ×
संकर स्वयं केसरी नन्दन। ✓
सब पर राम तपस्वी राजा। ×
सब पर राम राय सिर ताजा। ✓
जो सतबार पाठ कर जोई। ×
यह सतबार पाठ कर जोई। ✓
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Mohini Ekadashi Vrat Katha | मोहिनी एकादशी व्रत कथा | Gyaras Katha | Ekadashi Vrat Katha #ekadashi @Mere Krishna
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मोहिनी एकादशी व्रत कथा:
भद्रावती नामक सुंदर नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसका नाम धनपाल था। वह स्वभाव से बहुत नेक था और खूब दानपुण्य करता था। उसके पांच बेटों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था जो बुरे कर्मों में लिप्त रहता था और अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन धनपाल ने उसकी बुरी आदतों से तंग आकर उसे घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद धृष्टबुद्धि दिन-रात शोक में डूब कर इधर-उधर भटकने लगा।
भटकते-भटकते एक दिन धृष्टबुद्धि महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। महर्षि उस समय गंगा में स्नान करके आए थे। शोक के भार से पीड़ित धृष्टबुद्धि कौण्डिल्य ऋषि के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, 'हे ऋषि ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिसके पुण्य के प्रभाव से मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊँ'। उसकी पीड़ा समझते हुए महर्षि कौण्डिल्य ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी।
महर्षि कौण्डिल्य ने उसे बताया कि इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया।
Mohini Ekadashi 2024 | मोहिनी एकादशी कब है 18 या 19 मई | Ekadashi Kab Hai | Gyaras Kab Ki Hai @Mere Krishna
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Narayan Stotram | श्रीनारायण स्तोत्र | Narayan Narayan Jai Govind Hare | श्री नारायण स्तोत्रम् @Mere Krishna
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प्रतिदिन नियमित रूप से श्री नारायण स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यह पाठ विष्णु जी को बहुत प्रिय है तथा बहुत ही सरल पाठ है, जिसका हर कोई लाभ उठा सकता है।
Shri Ram Bhujanga Prayata Stotram | श्रीराम भुजंग प्रयात स्तोत्रम् | Shri Adi Shankaracharya Krit @Mere Krishna
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श्री राम भुजंगा स्तोत्रम भगवान श्री राम को समर्पित भजन है, जिसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने भगवान राम के महान कार्यों की प्रशंसा करते हुए की थी। इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने इस सत्य को पुष्ट किया कि राम पूर्ण ब्रह्म हैं। अत: राम के स्वरूप और गुणों का ध्यान करने से भी ब्रह्म की प्राप्ति होती है।
Siddha Kunjika Stotram | सिद्धकुंजिकास्तोत्रम् | शक्तिशाली महामंत्र | Durga Stotram @Mere Krishna
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नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पावन माने जाते हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में यदि आप देवी भगवती अर्थात मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को परम कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। इस स्तोत्र में दिए गए मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माने जाते हैं। इन मंत्रों में बीजों का समावेश है और बीज किसी भी मंत्र की शक्ति माने जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ आपको कठिन लगे या पढ़ने का समय न हो, तो आपको सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
Varuthini Ekadashi Vrat Katha | वरुथिनी एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha | Gyaras Katha @Mere Krishna #ekadashi2024
प्राचीन समय में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नाम के राजा का राज हुआ करता था। वह तपस्वी था। एक समय ऐसा आया कि राजा की तपस्या के दौरान एक जंगली भालू आया और उसके पैर को चबाने लगा, लेकिन राजा तपस्या में लीन रहा। भालू राजा को घसीट कर जंगल में ले गया। भालू को देख राजा अधिक डर गया।
इस दौरान उसने भगवान भगवान विष्णु से जीवन की रक्षा के लिए प्रार्थना की। उसकी पुकार सुन प्रभु वहां प्रकट हुए और भालू को मारकर राजा के प्राण बचाए। तब तक भालू ने राजा का पैर खा लिया था। इसकी वजह वह बेहद दुखी था। राजा को इस परिस्थिति में देख भगवान विष्णु ने उसको एक उपाय बताया। प्रभु ने राजा को वरुथिनी एकादशी करने के लिए कहा।
राजा ने प्रभु की बात को मानकर वरुथिनी एकादशी व्रत किया और उसने वराह अवतार मूर्ति की पूजा की। इसके बाद इस व्रत के प्रभाव से राजा फिर से सुंदर शरीर वाला हो गया। मृत्यु के पश्चात उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
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Varuthini Ekadashi Kab Hai | वरुथिनी एकादशी कब है 3 या 4 मई 2024 | Gyaras Kab Ki Hai #ekadashi @Mere Krishna
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वैष्णव कैलेंडर के अनुसार, वरुथिनी एकादशी व्रत 4 मई 2024 को है।
वरुथिनी एकादशी व्रत पारण का समय 5 मई 2024 सुबह 5:37 से 8:17 तक
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Gajendra Moksha Stotra | गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्रम् | Gajendra Moksha Stotra With Lyrics @LordKrishnabhajanKKB
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इस स्तोत्र में एक हाथी और मगरमच्छ की कहानी है। एक हाथी अपने परिवार के साथ जंगल में घूम रहा था और जब उसे प्यास लगती है तब वो सरोवर के किनारे पानी पीने पहुंच जाता है। सरोवर में कमल के फूल देखकर हाथी जल क्रीड़ा करने पहुंच जाता है। इतने में एक मगरमच्छ उस हाथी का पैर पकड़ लेता है और छोड़ता नहीं है। हाथी के सभी परिवार वाले उसे बाहर निकालने की कोशिश करते हैं और अंत में वहीं छोड़कर चले जाते हैं। हाथी बाहर आने की कोशिश करता है, लेकिन मगरमच्छ उसका पैर नहीं छोड़ता है। जब हाथी पूरी तरह डूबने लगता है तब उसने श्री हरी विष्णु को पुकारते हुए उनकी जो स्तुति की थी वही गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। इस स्तुति को सुनकर भगवान् विष्णु वहां आए और गज की रक्षा की।
श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कन्ध में गजेन्द्रमोक्ष की कथा है। द्वितीय अध्याय में ग्राह के साथ गजेन्द्र के युद्ध का वर्णन है, तृतीय अध्याय में गजेन्द्रकृत भगवान् के स्तवन और गजेन्द्रमोक्ष का प्रसङ्ग है और चतुर्थ अध्याय में गज और ग्राह के पूर्वजन्म का इतिहास है। श्रीमद्भागवत में गजेन्द्रमोक्ष आख्यान के पाठ का माहात्म्य बतलाते हुए इसको स्वर्ग तथा यशदायक, कलियुग के समस्त पापों का नाशक, दुःस्वप्ननाशक और श्रेय साधक कहा गया है। तृतीय अध्याय का स्तवन बहुत ही उपादेय है। इसकी भाषा और भाव सिद्धान्त के प्रतिपादक और बहुत ही मनोहर हैं। भाव के साथ स्तुति करते-करते मनुष्य तन्मय हो जाता है।
स्वयं भगवान् का वचन है कि 'जो रात्रि के शेष में (ब्रह्ममुहूर्त के प्रारम्भ में) जागकर इस स्तोत्र के द्वारा मेरा स्तवन करते हैं, उन्हें मैं मृत्यु के समय निर्मल मति (अपनी स्मृति) प्रदान करता हूँ।' और 'अन्ते मतिः सा गतिः' के अनुसार उसे निश्चय ही भगवान् की प्राप्ति हो जाती है तथा इस प्रकार वह सदा के लिये जन्म-मृत्यु के बन्धन से छूट जाता है।
नारायण कवच के साथ गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें तो यह अधिक फलदायक होता है।
Shiv Tandav Stotram | रावण रचित शिव तांडव स्तोत्रम् | Shiv Tandav Stotram With Lyrics & Meaning @Mere Krishna
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Netra Stotra | This Stotra Keeps Your Eyes Healthy | आंखों के सभी रोगों को मिटाएगा यह स्तोत्र | जब शुक्राचार्य की एक आंख छेदी गई @Mere Krishna
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Kamada Ekadashi Vrat Katha | कामदा एकादशी व्रत कथा | Kamada Ekadashi Katha 2024 | ग्यारस व्रत कथा @Mere Krishna
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शास्त्रों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कामदा एकादशी को ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करने वाली एकादशी माना जाता है। इस कथा को पढ़ने, सुनने वाले व्यक्ति को वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
Ekadashi Kab Hai 2024 | कामदा एकादशी व्रत 18 या 19 अप्रैल 2024 | शुभ मुहूर्त, व्रत पारण का सही समय @Mere Krishna
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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधिवत उपासना करने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामदा एकादशी व्रत रखा जाता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि कामदा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन उपवास रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की उपासना का भी विधान है। इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कामदा एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है और आर्थिक व कार्यक्षेत्र में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
Maa Siddhidatri Stotra | देवी सिद्धिदात्री स्तोत्र | नौवां नवरात्र मॉं महागौरी स्तोत्र #navratri @Mere Krishna
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देवी सिद्धिदात्री मां दुर्गा की नौवां अवतार हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। यहां तक कि भगवान शिव को भी देवी सिद्धिदात्री की कृपा से सभी सिद्धियां प्राप्त हुईं।
वह न केवल मनुष्यों द्वारा बल्कि देव, गंधर्व, असुर और यक्ष द्वारा भी पूजा की जाती है। भगवान शिव को अर्ध-नारीश्वर की उपाधि तब मिली जब देवी सिद्धिदात्री उनके आधे भाग से प्रकट हुईं।
देवी सिद्धिदात्री देवी पार्वती का मूल रूप हैं। वह कमल के फूल पर बैठी लाल साड़ी में लिपटी हुई दिखाई देती है जो पूरी तरह से खिली हुई है। वह अपने चारों हाथों में हथियार रखती है। अपने दाहिने ऊपरी हाथ में चक्र रखती है। वह अपने बाएं ऊपरी हाथ में एक शंख रखती है।
वह अपने दाहिने निचले हाथ में गदा और अपने बाएं निचले हाथ में कमल धारण करती है। गहनों में लिपटे और गले में एक सुंदर ताजे फूलों की माला, सिद्धिदात्री देवी इस रूप में अत्यंत दिव्य और सुंदर दिखती हैं।
देवी सिद्धिदात्री को भोग के रूप में तिल का भोग लगाया जाता है।
Maa Mahagauri Stotra | देवी महागौरी स्तोत्र | आठवां नवरात्र मॉं महागौरी स्तोत्र #navratri @Mere Krishna
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मॉं महागौरी के गोरे रंग की तुलना शंख, चंद्रमा और चमेली के फूलों की सफेदी से की जाती है। (‘महा’ का अर्थ है महान और ‘गौरी’ का अर्थ सफेद है)। मॉं महागौरी सफेद वृषभ (बैल) पर विराजमान हैं। अपने भक्तों को आशीर्वाद देने और उनके जीवन से सभी भय को दूर करने के लिए, उनकी दो भुजाएँ वरद और अभय मुद्रा में हैं। उनकी दूसरी भुजाओं में त्रिशूल और डमरू हैं। उनके कपड़े और आभूषण सफेद और शुद्ध हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोलह वर्ष की आयु में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं और उन्हें गोरा रंग प्राप्त था। उनके अत्यधिक गोरे रंग के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है।
मॉं महागौरी और मॉं शैलपुत्री की सवारी बैल है और इसी वजह से उन्हें वृषारूढ़ा (वृषारुढ़) भी कहा जाता है। देवी महागौरी की चार भुजाएं है। वह एक दाहिने हाथ में त्रिशूल रखती है और दूसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रखती है। वह एक बाएं हाथ में डमरू को सुशोभित करती है और दूसरे बाएं हाथ को वरद मुद्रा में रखती है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, देवी महागौरी अत्यंत निष्पक्ष हैं। अपने गोरे रंग के कारण देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंड के सफेद फूल से की जाती है। वह सफेद कपड़े पहनती हैं और इसी वजह से उन्हें श्वेतांबरधारा (श्वेतांबरधरा) के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की, जिसके कारण वह काली और कमजोर हो गईं। उनकी दृढ़ता और शुद्ध भक्ति को देखकर, भगवान शिव उनसे शादी करने के लिए तैयार हो गए और देवी पार्वती को गंगा के पवित्र जल से स्नान करवाया। इस पर उनका रंग सुनहरा और दीप्तिमान हो गया। तभी से उन्हें महागौरी कहा जाता है।